Wednesday, 7 September 2011

मित्रों, स्वागत है.. दिल से..

मित्रों, स्वागत है.. दिल से..
सही में दिल से..
दिल की बातों को कई लोग नज़रंदाज़ कर जाते है और दिमाग से काम लेते है... और कुछ है मेरी तरह जो दिमाग को एक किनारे रख .. दिल से काम लेते है. दिक्कत बहुत आती है... परेशानी... क्योंकि आज के इस पैसे-शोहरत के लिए भागते युग में दिल से काम लेना बहुत मुश्किल है... 
पर क्या करें.... आदत से मजबूर है. दिल को दरकिनार नहीं कर सकते. बातें उमडती रहती है दिल में .. श्याद यही प्लेटफॉर्म हो जहाँ दिल की बातें दिल वालों से सांझा हो सकें..

दिल से .... ब्लॉग में, मैं उमेश गेरा अपनी कुछ दिल की बातों को रखूँगा, इस आशा के साथ की आप कुछ समझेंगे.